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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता और पूर्व सांसद (सांसद) प्रभुनाथ सिंह को 1995 के दोहरे हत्याकांड मामले में दोषी ठहराया, उनकी बरी के फैसले को पलट दिया। सिंह हत्या के एक अन्य मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। 2017 में एक ट्रायल कोर्ट ने उन्हें विधायक अशोक सिंह की 1995 की हत्या के मामले में दोषी पाया, जिन्होंने 1995 के बिहार विधानसभा चुनाव में प्रभुनाथ सिंह को हराया था। प्रभुनाथ सिंह ने उन्हें चुनाव के 90 दिनों के अंदर खत्म करने की धमकी दी थी।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति एएस ओका और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने दोहरे हत्याकांड मामले में जनता दल (यूनाइटेड) या जद (यू) के तीन बार के सदस्य और महाराजगंज से एक बार के राजद सांसद प्रभुनाथ सिंह को दोषी ठहराया। यह दिखाने के लिए सबूत हैं कि उसने मार्च 1995 में छपरा में एक मतदान केंद्र के पास 18 वर्षीय राजेंद्र राय और 47 वर्षीय दरोगा राय की हत्या करवा दी थी। दोनों की गोली मारकर हत्या कर दी गई क्योंकि उन्होंने सिंह के सुझाव के अनुसार मतदान नहीं किया था। पहले यह मामला निचली अदालत पहुंचा था यहां से पूर्व सांसद को रिहाई मिल गई थी। वहीं, दिसंबर 2008 में पटना की एक अदालत ने सबूतों की कमी का हवाला देते हुए प्रभुनाथ सिंह को बरी कर दिया। पटना उच्च न्यायालय ने 2012 में बरी करने के फैसले को बरकरार रखा।
राजेंद्र राय के भाई ने बरी किए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति नाथ ने फैसले का मुख्य भाग पढ़ते हुए कहा कि हमने पटना उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया और प्रतिवादी नंबर 2…प्रभुनाथ सिंह को दरोगा राय और राजेंद्र राय की हत्या के लिए धारा 302 (हत्या) के तहत दोषी ठहराया। हम बिहार के गृह सचिव और राज्य के पुलिस महानिदेशक को प्रभुनाथ सिंह को गिरफ्तार करने और सजा के तर्क पर सुनवाई की अगली तारीख पर हिरासत में इस अदालत के समक्ष पेश करने का निर्देश देते हैं।
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