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राज्यपाल की अध्यक्षता में रैंकिंग उन्नयन-2025‘ कार्यशाला आयोजित

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लखनऊ,(मॉडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)ः प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आज डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ में ‘रैैंकिंग उन्नयन-2025‘ कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य प्रदेश के विश्वविद्यालयों को वर्ल्ड क्लास यूनिवर्सिटी बनाने के लिए आवश्यक रणनीतियों पर मार्गदर्शन देना था, जिससे वे राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उच्च रैंकिंग प्राप्त कर सकें और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनें। कार्यशाला के दौरान राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों एवं अन्य प्रतिनिधियों ने रैंकिंग से जुड़ी समस्याओं एवं उनके संभावित समाधानों पर प्रश्न पूछे. जिनका विशेषज्ञों ने विस्तार से उत्तर दिया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालयों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा एवं अनुसंधान को प्राथमिकता देनी होगी ताकि वे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सकें। उन्होंने इस दिशा में सभी विश्वविद्यालयों को संगठित प्रयास करने एवं नवाचार को बढ़ावा देने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला से मिले विचारों और सुझावों को केवल सुनने तक सीमित न रखें, बल्कि उन पर गंभीरता से चिंतन करें और जब यहां से वापस जाएं तो टीमवर्क की भावना से कार्य करें। उन्होंने विश्वविद्यालयों के अधिकारियों और शिक्षकों को निर्देश कि वे कार्यशाला से प्राप्त ज्ञान को आपस में साझा करें और उन पर गहन चर्चा करें, जिससे नए विचार सामने आएं और योजनाएं बेहतर तरीके से बनाई जा सकें। उन्होंने कहा कि कार्यशालाएं और सेमिनार तभी सफल माने जाते हैं जब उनमें दी गई जानकारी से प्रतिभागियों को लाभ मिले। उन्होंने कहा कि जब चार लोग एक साथ बैठकर चर्चा करते हैं और एक-दूसरे की क्षमताओं का सम्मान करते हुए कार्य करते हैं, तो सफलता की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया कि वे युवा प्रतिभाओं को अवसर दें क्योंकि नवाचार और ऊर्जा से भरे युवा ही संस्थानों को आगे ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को अपनी सोच बदलनी होगी और परस्पर सहयोग की भावना विकसित करनी होगी। राज्यपाल ने इस बात पर बल दिया कि संस्थानों को केवल प्रतिस्पर्धा पर ध्यान देने के बजाय आपसी सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान पर जोर देना चाहिए, ताकि सभी विश्वविद्यालयों की रैंकिंग में सुधार हो सके। उन्होंने विश्वविद्यालयों की वेबसाइटों की गुणवत्ता पर भी ध्यान देने की आवश्यकता बताई और कहा कि वेबसाइट्स पर संपूर्ण जानकारी उपलब्ध होनी चाहिए, जिससे छात्रों को सही जानकारी प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि छात्रावास, अनुसंधान सुविधाएं, पाठ्येतर गतिविधियां और अन्य सुविधाओं की जानकारी वेबसाइट पर स्पष्ट और आकर्षक रूप में उपलब्ध हो। राज्यपाल ने अनुसंधान और विकास पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता बताते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों को अपने अनुसंधान कार्यों को मजबूत करना होगा और उन्हें प्रासंगिक तथा प्रभावशाली बनाना होगा। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि विश्वविद्यालयों को मिलकर अनुसंधान करना चाहिए, पीएचडी के कार्यों में सहयोग बढ़ाना चाहिए, पुस्तक लेखन और अनुवाद कार्यों को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि ज्ञान का व्यापक प्रसार हो सके। राज्यपाल ने अनुसंधान एवं विकास में अवसर विषय पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों को ऐसे प्रपोजल और प्रोजेक्ट्स तैयार करने चाहिए, जिससे वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की ग्रांट का लाभ प्राप्त कर सकें। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को परियोजनाओं को विभाग की गाइडलाइन्स के अनुरूप तैयार करना चाहिए और समय पर सबमिट करना चाहिए, ताकि उन्हें अनुदान प्राप्त करने में कोई बाधा न आए। राज्यपाल ने यह भी आश्वासन दिया कि वे स्वयं विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग से चर्चा करेंगी और यह जानने का प्रयास करेंगी कि विश्वविद्यालयों के प्रपोजल में क्या कमियां रह जाती हैं। उन्होंने कहा कि वे इन कमियों पर मार्गदर्शन देंगी, जिससे विश्वविद्यालय बेहतर तरीके से अपने प्रस्ताव तैयार कर सकें और उन्हें अधिकतम लाभ प्राप्त हो। राज्यपाल ने कुलपतियों को संबोधित करते हुए कहा कि सही समय पर सही कार्य करना आवश्यक है और समय का सदुपयोग इस प्रकार करना चाहिए कि विद्यार्थियों, देश और आने वाली पीढ़ी को उसका लाभ मिले। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि वसुधैव कुटुंबकम की भावना के साथ कार्य करने की आवश्यकता है, जिससे शिक्षा और अनुसंधान का व्यापक प्रभाव समाज और राष्ट्र पर पड़े। उन्होंने निर्देश दिया कि कुलपति स्वयं अपने छात्रावासों का नियमित रूप से भ्रमण करें, विद्यार्थियों के बीच बैठें, उनसे संवाद करें और उनकी प्रतिभा को पहचानें। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों की क्षमताओं का सही मार्गदर्शन और उपयोग करके विश्वविद्यालय और देश को आगे बढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही, उन्होंने विश्वविद्यालयों में सकारात्मक अकादमिक और अनुसंधान संस्कृति विकसित करने पर बल दिया। उन्होंने परीक्षा प्रणाली में सुधार पर भी जोर देते हुए कहा कि बार-बार बैक पेपर देने की परंपरा समाप्त होनी चाहिए। विद्यार्थियों को कठिन परिश्रम करने के लिए प्रेरित किया जाए ताकि वे अपनी परीक्षाओं में सफल हों और बार-बार बैक पेपर देने की आवश्यकता न पड़े।

राज्यपाल ने कहा कि इस कार्यशाला का आयोजन विशेष रूप से इसलिए किया गया है ताकि नए विचारों का आदान-प्रदान हो और विश्वविद्यालयों की नेशनल एवं ग्लोबल रैंकिंग में सुधार किया जा सके। उन्होंने कहा कि उच्च गुणवत्ता वाले शोध परियोजनाएं तैयार कर विश्वविद्यालय ग्रांट का लाभ उठा सकते हैं। इसके लिए कार्यशालाओं का आयोजन अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इनसे नवीन दृष्टिकोण विकसित होते हैं और शोध एवं नवाचार को बढ़ावा मिलता है। राज्यपाल ने सभी को प्रधानमंत्री जी के मन की बात कार्यक्रम को सुनने के लिए प्रेरित किया और कहा कि इस कार्यक्रम से भी नए विचार और प्रेरणा प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि दूरदर्शी व्यक्तियों के विचारों को सुनने से ज्ञान और दृष्टिकोण का विस्तार होता है, जो समाज और राष्ट्र के विकास में सहायक होता है। इसके साथ ही, उन्होंने डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ में विद्यार्थियों की कम संख्या पर चिंता व्यक्त की और निर्देश दिया कि सभी विश्वविद्यालय इस विषय में जागरूकता बढ़ाएं। उन्होंने कहा कि समाज को यह बताया जाए कि लखनऊ में एक ऐसा विश्वविद्यालय है, जहां विशेष रूप से दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए उच्च शिक्षा की व्यवस्था है। विश्वविद्यालयों को इस संदर्भ में प्रचार-प्रसार बढ़ाने और अधिक से अधिक विद्यार्थियों को इस संस्थान से जोड़ने के लिए प्रयास करने चाहिए। ज्ञातव्य है कि राज्यपाल के प्रयासों से उच्च शिक्षा गुणवत्ता सुधार तथा रैंकिंग उन्नयन हेतु विभिन्न कार्यशालाओं का आयोजन, शिक्षा मंथन, समर्थ से सामर्थ्य, नैक एवं एन0आई0आर0एफ0 मूल्यांकन की तैयारी के संदर्भ में नियमित तौर पर समीक्षा बैठक, क्यू0एस0 इण्डिया एवं क्यू0एस0 वर्ल्ड समिट कार्यशाला आदि के आयोजनों के सुखद परिणाम परिणामस्वरूप वर्तमान में समय में उत्तर प्रदेश राज्य विश्वविद्यालयों में आठ (08) राज्य विश्वविद्यालयों को नैक में सर्वाेच्च ग्रेड ‘ए प्लस प्लस‘, चार (04) विश्वविद्यालयों को ‘ए प्लस‘ एवं एक (01) विश्वविद्यालय को ‘ए‘ ग्रेड प्राप्ति हुई है। इसके साथ-साथ प्रदेश के छः (06) विश्वविद्यालयों को क्यू0एस0 एशिया एवं क्यू0एस0 साउथ एशिया में रैंकिंग प्राप्त हुई है। उत्तर प्रदेश के पांच (05) राज्य विश्वविद्यालयों को यू0जी0सी0 द्वारा श्रेणी-1 विश्वविद्यालय घोषित किया गया है तथा प्रदेश के छः (06) विश्वविद्यालयों को यू0जी0सी0 द्वारा रूपये 100-100 करोड़ की ग्रांट एवं आठ (08) विश्वविद्यालयों में प्रत्येक को रूपये 20-20 करोड़ की ग्रांट स्वीकृत हुई है। स्टैनडफोर्ड यूनिवर्सिटी, कैलीफोर्निया(अमेरिका) द्वारा जारी दुनिया भर के शीर्ष दो (02) प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची में उत्तर प्रदेश के इकतालीस (41) अध्यापक वैज्ञानिकों का नाम शामिल हुआ है। कार्यशाला के प्रथम सत्र में राष्ट्रीय रैंकिंग सुधारने की रणनीतियों पर चर्चा हुई, जिसमें नेशनल बोर्ड ऑफ एक्रिडिटेशन, नई दिल्ली के सदस्य सचिव, डॉ. अनिल कुमार नासा ने अपने विचार प्रस्तुत किए। इसके बाद वैश्विक रैंकिंग सुधारने की रणनीतियों पर क्यू एस वर्ल्ड रैंकिंग (यू.के.) के सीईओ, डॉ. अश्विन फर्नांडीस ने संबोधन दिया। कार्यशाला में डॉ. अनिल कुमार नासा और डॉ. अश्विन फर्नांडिस ने विस्तार से बताया कि कैसे उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालय राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में अपनी स्थिति मजबूत कर सकते हैं। उन्होंने इस दिशा में कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए और कुलपतियों को इन उपायों को अपनाने के लिए प्रेरित किया। सत्र के दौरान कुलपतियों ने अपनी जिज्ञासाएं प्रकट कीं और विशेषज्ञों ने उनके प्रश्नों के समाधान भी प्रस्तुत किए। कार्यक्रम में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए और महत्वपूर्ण सुझाव दिए। उन्होंने कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए राज्यपाल जी का विशेष रूप से धन्यवाद दिया और कहा कि आज उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालय राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी रैंकिंग सुधार रहे हैं, ख्याति प्राप्त कर रहे हैं और निरंतर प्रगति कर रहे हैं। उन्होंने इस उपलब्धि का श्रेय राज्यपाल जी को देते हुए कहा कि उनकी सतत समीक्षा बैठकें और कार्यशालाओं के माध्यम से दिया गया मार्गदर्शन एवं प्रेरणा विश्वविद्यालयों को नए आयाम देने में सहायक सिद्ध हो रही है। उन्होंने सभी विशेषज्ञों को कार्यक्रम में आने के लिए धन्यवाद दिया तथा उनकी बहुमूल्य जानकारी साझा करने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला के माध्यम से सभी प्रतिभागियों को बहुत कुछ सीखने को मिला है, जिससे विश्वविद्यालयों को अपने कार्यों में और अधिक सुधार करने में सहायता मिलेगी।

 

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