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लखनऊ,(कुमार अभिषेक)। लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रों को पढ़ाई का उचित माहौल और गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई को लेकर जब-तब ढोल पीठता रहता है, लेकिन विश्वविद्यालय के ही द्वितीय कैम्पस में हाल ठीक इसके विपरीत हैं, यहां पर छात्रों के लिए बनी जनरल लाइब्रेरी व लाॅ लाइब्रेरी में मूलभूत सुविधाओं का टोटा है। वहीं लाॅ के छात्र बिना मूट कोर्ट के ही कानून की पढ़ाई पूरी करने पर मजबूर हैं। विविध संकाय के छात्र भी मूट कोर्ट की कमी को स्वीकारते हुये कहते हैं कि बिना मूट कोर्ट के अदालती प्रक्रिया की सही ढंग से जानकारी नहीं हो पाती है। लखनऊ विश्वविद्यालय के विधि संकाय का यह हाल तब है जब आगामी 28 अगस्त से लाॅ की कक्षाएं शुरू होने जा रही हैं, और इस बार भी विधि संकाय के छात्र बिना मूट कोर्ट के ही अपना कोर्स पूरा करेंगें। वहीं विवि प्रशासन इस बार भी छात्रों को मूट कोर्ट की सुविधा देने के लिए बेपरवाह नजर आ रहा है।

आपको बता दे कि विधि संकाय में पढ़ने वाले करीब 50 से ज्यादा छात्र पीसीएस जे में इंटरव्यूह दे रहे हैं। जबकि 100 से ज्यादा छात्र पीसीएस जे की परीक्षा में चयनित हुये हैं। विधि छात्रों का कहना है कि प्रशासन अगर विवि में मूट कोर्ट और विधि लाइब्रेरी की व्यवस्था दुरूस्त कर ले तो छात्रों की सफलता का यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। वहीं प्रशासनिक भवन में बनी लाइब्रेरी में छात्र बिना एसी के कमरों में बैठने को मजबूर हैं। पुस्ताकालय में पढ़ रहे एक छात्र ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जब शरीर पसीने से लथपथ रहेगा तो ऐसे में छात्रों को लाइब्रेरी में पढ़ने में कैसे मन लगेगा। गर्मी से राहत पहुंचाने के लिए जो पंखे लगे है वह भी नाकाफी सिद्ध हो रहे हैं।
क्या है मूट कोर्ट ?
मूट कोर्ट एक ऐसी व्यवस्था है जहाँ कानून की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को अदालत में होने वाली कारवाही, अदालत की कार्य प्रक्रिया, नियमों आदि के बारें में बताया जाता है। दरअसल यह एक प्रकार का सेटअप होता है जहाँ से विधि के छात्र भविष्य के लिए कानून के अच्छे जानकर, अच्छे वक्ता और एक अच्छे अधिवक्ता बनकर निकलते हैं। आपको बता दें कि मूट कोर्ट का मुख्य काम अदालत में होने वाले व्यवहार के बारें में संपूर्ण जानकारी देना होता है, मूट कोर्ट प्रतियोगिताओं का मुख्य उद्देश्य दो पक्षों के बीच होने वाले विवादों के संबंध में होने वाली अदालती कार्यवाही से छात्रों को अवगत कराना होता है तांकि छात्र हर उस माहौल के बारें में जान जाएं, जिनका उन्हें भविष्य में सामना करना पड़ सकता है।
छात्रों को कानून की हर बारीकियों से रूबरू करवाता है मूट कोर्ट
कानून के जानकार बताते है कि मूट कोर्ट छात्रों को कानून की हर बारीकियों से अवगत कराता है। मूट कोर्ट छात्रों को हर एक विषय पर गहराई से ठोस रिसर्च करने में सहायता करता है। वाद-विवाद के माध्यम से छात्रों में आत्मविश्वास को बढ़ाता है। मूट कोर्ट छात्रों को टीम वर्क करने के लिए भी प्रोत्साहित करता है। मूट कोर्ट छात्रों को अदालतों में होने वाली दलीलों से परिचित करवाता है। मूट कोर्ट छात्रों में विश्वास के स्तर को बढ़ाता है। मूट कोर्ट के माध्यम से छात्र वाद-विवाद करना सीख पाते हैं।

क्या कहते है रजिस्ट्रार विनोद सिंह
लखनऊ विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार विनोद कुमार सिंह ने विधि छात्रों के मूट कोर्ट की कमी को स्वीकारते हुये कहा कि बहुत जल्द ही कमियां दूर की जायेंगी। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय के द्वितीय कैम्पस के हेड और डीन प्रो बी. डि. सिंह को जल्द से जल्द नये मूट कोर्ट को बनाने का प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिये। इसके साथ ही लाइब्रेरी में छात्रों को हो रही असुविधा के लिए आवश्यक उपकरण जैसे एसी और पंखो आदि की व्यवस्था दुरूस्त करने के भी निर्देश दिये हैं।
क्या कहती है स्टूडेन्ट वेल्फेयर डीन प्रो0 पूनम टंडन

स्टूडेन्ट वेल्फेयर डीन प्रो0 पूनम टंडन ने छात्रों को हो रही असुविधा के सवाल पर कहा हम इस मुद्दे के प्रति गंभीर हैं हम चाहते द्वितीय कैम्पस के डीन प्रस्ताव बना कर भेजे हम उस पर विचार करने को तैयार हैं, किन्तु वह प्रस्ताव विश्वविद्यालय की वित्तीय क्षमता के अनुरूप हो।