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नई दिल्ली। ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम को हुए हादसे में एनडीआरएफ और ओडीआरएएफ, कई एजेंसियों के साथ मिलकर हादसे के शिकार लोगों की जान बचाने और उन्हें सुरक्षित निकालने की मुहिम में जुटी रही। रेस्क्यू ऑपरेशन के करीब दो दिन बाद एनडीआरएफ के डायरेक्टर अतुल करवाल ने रविवार शाम को बताया कि हादसे के 48 घंटे बीत जाने के बाद मलबे में फंसे किसी के भी अब जीवित बचने की संभावना नहीं है।
हादसे के बाद 2 दिनों तक केंद्रीय और राज्य एजेंसियों के एक हजार से अधिक कर्मियों ने लगातार ऑपरेशन चलाए रखा। लगातार ऑपरेशन में लगे होने की वजह से ये लोग काफी थक भी गए थे। रविवार शाम करीब 5।30 बजे स्थानीय सोरो पुलिस स्टेशन के पुलिसकर्मियों को एक हल्की सी आवाज सुनाई दी।
कोरोमंडल एक्सप्रेस के पलटे हुए डिब्बों में से एक डिब्बे के बगल में झाड़ी के पास से मदद की पुकार सुनाई दी। हालांकि इस पुकार की आवाज बेहद धीमी थी। हालांकि पिछले 2 दिनों से बचावकर्मी ने इन जगहों की पूरी तरह से छानबीन कर ली थी। लेकिन पास की झाड़ी के पास जाने से चूक गए।
सोरो पुलिस स्टेशन के एक पुलिसकर्मी ने इस बारे में बताया, हम बेहद हैरान थे कि इस तरह के भीषण ट्रेन हादसे के 48 घंटों के बाद भी कोई कैसे जिंदा रह सकता है। हमने उसकी मदद के लिए कॉल किया और फिर कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं की मदद से, उसे सोरो के कम्युनिटी सेंटर लेकर गए। जहां उसका प्राथमिक उपचार किया गया, यहां से उसे बालासोर जिला मुख्यालय अस्पताल में भर्ती कराया गया।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बालासोर जिला अस्पताल में भर्ती इस शख्स की पहचान हो गई है जो अभी बहुत कमजोर है। इस 35 साल के शख्स ने बताया कि वह असम का रहने वाला है और उसका नाम दुलाल मजूमदार है। वह अपने राज्य के 5 अन्य लोगों के साथ कोरोमंडल एक्सप्रेस में सफर कर रहा था। हालांकि यह पता नहीं चल सका है कि ट्रेन में उसके साथ सफर करने वाले लोग हादसे में जिंदा बचे हैं या नहीं।
जिला अस्पताल के डॉक्टर सुभाजित गिरी ने बताया कि वह कोरोमंडल एक्सप्रेस के जनरल डिब्बे में सवार था जब यह हादसा हुआ। हो सकता है कि हादसे के समय वह उछलकर ट्रेन से बाहर निकल गया हो और झाड़ी में जा गिरा हो। यह अपने आप में एक चमत्कार है कि वह इस भीषण हादसे के बाद दो दिनों तक जिंदा रहा।
एम्स के जनसंपर्क अधिकारी राजकिशोर दास ने बताया, दुलाल मजूमदार को जिला अस्पताल से निकालकर कल सोमवार की सुबह भुवनेश्वर स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां पर उसके सिर पर लगी चोट का इलाज किया जा रहा है। वह अभी भी ट्रूमा में है और सही तरीके से बात नहीं कर पा रहा है। हम उनका इलाज कर रहे हैं। उस पर कड़ी निगरानी में रखी जा रही है।
हादसे के 2 दिन बाद जीवित बचे होने की घटना के बाद स्थानीय पुलिस के साथ-साथ रेलवे की टीम ने कल सोमवार को फिर से अपना बचाव अभियान शुरू किया। इस बार टीम ने उन जगहों पर छानबीन शुरू की जिसे पिछले 3 दिनों के सर्च ऑपरेशन के दौरान छोड़ दिया गया था।