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जानिए कैसे, लीवर फिट तो सेहत हिट

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लखनऊ,(मॉडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)ः विश्व लिवर दिवस के अवसर पर आज राजधानी के आईएमए भवन में इंडियन मेडिकल एसोसिएषन के डाक्टर, व एसजीपीआई व केजीएमयू के दिग्गज डाक्टरों ने लिवर की बीमारियों के बारे में जागरूकता और इसकी रोकथाम के पर गंभीर मंथन किया। इस मंथन के पीछे षहर के नामचीन डाक्टरों का बस यही मकसद था कि आम लोग अगर अपने जीवन में खानपान से जुड़ी थोड़ी भी आदत को सुधार और दिनचर्या मंे हल्का सुधार कर ले तो, काफी हद तक लीवर की समस्या से बचा जा सकता है। विशेषज्ञ डाक्टरों ने इस बात पर चिंता जतायी की लीवर की बीमारी से वैष्विक स्तर लाखों लोग जूझ रहे हैं। डाक्टरों का मानना है कि हर साल 19 अप्रैल को विश्व लिवर दिवस इसलिए मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य लिवर के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि षरीर में सभी अंगों का अपना अलग महत्व है, लेकिन लिवर स्वाथय रखने के लिए प्राथमिकता क्यों देनी चाहिए। सच तो यह है कि आपका लिवर शरीर के पावरहाउस की तरह काम करता है, यह अंग विषाक्त पदार्थों को छानने से लेकर पोषक तत्वों को संसाधित करने तक काम करता है। उत्तम स्वास्थ्य के लिए लिवर का स्वस्थ होना बेहद जरूरी है।
ऐसे ही विषय पर षहर के नामचीन डाक्टरों ने अपने अपने विचार रखे, जिनमें प्रमुख रूप से लखनऊ के एसजीपीजीआई के डॉक्टर गौरव पांडे, केजीएमयू के डा.सुमित रूंगटा व वरिष्ठ गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट डा. मनीष टंडन षामिल थे।

विश्व लिवर दिवस पर जागरूकता और रोकथाम को बढ़ावा 

विशेषज्ञ डाक्टरों ने कहा कि विश्व लिवर दिवस के अवसर पर, हम इस अवसर पर लिवर रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने का प्रयास करते हैं, जो वैश्विक स्तर पर लाखों लोगों को प्रभावित करने वाली स्थिति है। डाक्टरों ने कहा कि फैटी लिवर रोग के जोखिम, रोकथाम और प्रबंधन के बारे में जनता को जागरूक करना ही उद्देष्य है।

लिवर रोग को समझना


फैटी लिवर रोग तब होता है जब लिवर कोशिकाओं में अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है। इसे मोटे तौर पर दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है। मेटाबोलिक डिसफंक्शन एसोसिएटेड स्टेटोटिक लिवर डिजीज और अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज है। एसोसिएटेड स्टेटोटिक लिवर डिजीज अधिक आम है और अक्सर मोटापे, मधुमेह और मेटाबोलिक सिंड्रोम से जुड़ा होता है, जबकि। थ्स्क् अत्यधिक शराब के सेवन से जुड़ा होता है।

व्यापकता और जोखिम कारक
हाल के अध्ययनों के अनुसार, फैटी लीवर रोग भारतीय आबादी के लगभग 38 प्रतिषत को प्रभावित करता है। बढ़ती मोटापे की दर और गतिहीन जीवनशैली के कारण इसका प्रचलन बढ़ रहा है। प्रमुख जोखिम कारकों में शामिल हैं।
मोटापा
टाइप 2 मधुमेह
उच्च कोलेस्ट्रॉल
उच्च रक्तचाप
खराब आहार संबंधी आदतें

शारीरिक निष्क्रियताअगर इलाज न कराया जाए, तो फैटी लिवर रोग और भी गंभीर स्थितियों में बदल सकता है, जैसे कि लिवर में सूजन (स्टीटोहेपेटाइटिस), फाइब्रोसिस, सिरोसिस और यहां तक कि लिवर कैंसर भी। इन जटिलताओं को रोकने के लिए शुरुआती पहचान और जीवनशैली में बदलाव बहुत ज़रूरी हैं।

रोकथाम और प्रबंधन

फैटी लिवर रोग से निपटने कुछ षुरूवाती उपाय निम्न है, जिनके पालन से इस गंभीर समस्या से बचा जा सकता है।
1. स्वस्थ आहार- फलों, सब्जियों, साबुत अनाज और लीन प्रोटीन से भरपूर संतुलित आहार पर ज़ोर दें। संतृप्त वसा, परिष्कृत शर्करा और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित करें।
2. नियमित व्यायाम- प्रति सप्ताह कम से कम 150 मिनट मध्यम-तीव्रता वाले व्यायाम करें, जैसे तेज चलना, साइकिल चलाना या तैराकी।
3. वजन प्रबंधन- आहार और व्यायाम के संयोजन के माध्यम से स्वस्थ वजन बनाए रखें।
4. नियमित जाँच- नियमित चिकित्सा जाँच और लिवर फ़ंक्शन परीक्षण फैटी लिवर रोग का शुरुआती पता लगाने और प्रबंधन में मदद कर सकते हैं।
5. शराब का सेवन सीमित करें। थ्स्क् के जोखिम को कम करने के लिए शराब का सेवन कम करें या खत्म करें।
6. हाइड्रेटेड रहें- लीवर के उचित कामकाज को बनाए रखने और अपने शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करने के लिए पूरे दिन खूब पानी पिएं।
7. धूम्रपान से बचें- धूम्रपान न केवल आपके फेफड़ों को नुकसान पहुँचाता है, बल्कि लीवर के स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। धूम्रपान छोड़ने से लीवर के कामकाज सहित समग्र स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण लाभ हो सकते हैं।
8. दवा का उपयोग सीमित करें- ओवर-द-काउंटर दवाएँ और प्रिस्क्रिप्शन दवाएँ लीवर के स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकती हैं। केवल निर्धारित दवाओं का उपयोग करें और स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से परामर्श किए बिना कई दवाओं को एक साथ लेने से बचें।
9. पुरानी बीमारियों का प्रबंधन करें- मधुमेह, उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों का उचित प्रबंधन करें, क्योंकि अगर इन्हें अनियंत्रित छोड़ दिया जाए तो ये लीवर की बीमारी में योगदान कर सकती हैं।
10. खाद्य सुरक्षा का अभ्यास करें- भोजन को संभालने और तैयार करने में सावधानी बरतें। सुनिश्चित करें कि आप ठीक से पका हुआ भोजन खाएं और कच्चा या अधपका मांस और समुद्री भोजन खाने से बचें, जो खाद्य जनित बीमारियों का स्रोत हो सकते हैं।
इन सुझावों को अपनी जीवनशैली में शामिल करके, आप अपने लीवर के स्वास्थ्य का समर्थन कर सकते हैं और लीवर की बीमारियों और जटिलताओं के जोखिम को कम कर सकते हैं, जिससे समग्र स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। विषेषज्ञ डाक्टरों ने कहा कि इस कार्यक्रम का मकसद ही लोगों को जागरूक करना है। डाक्टरों ने आमजन से स्वस्थ जीवनशैली की ओर सक्रिय कदम उठाने की अपील की।

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