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लखनऊ। दिल्ली विधानसभा पर आठ साल से शासन कर रही आम आदमी पार्टी इस बार एमसीडी इलेक्शन में भी दिल्लीवासियों का भरोसा जीतने में कामयाब रही। एमसीडी काउंटिंग के रुझान बता रहे हैं कि आम आदमी पार्टी भारी विजय की ओर बढ़ रही है। आम आदमी पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं के बीच तो अभी से ही ऐसा माहौल है, जैसे उन्होंने दिल्ली एमसीडी इलेक्शन में अपना परचम लहरा दिया है।
एमसीडी में 15 साल से बीजेपी का राज था और नतीजों से स्पष्ट दिख रहा है कि चुनाव में सत्ताविरोधी लहर एक बड़ा फैक्टर साबित हुआ। आखिर वो कौन से कारण रहे कि बीजेपी ने अपना पूरा तंत्र लगा दिया पर आम आदमी पार्टी के आगे उसे निराशा हाथ लगी।
आम आदमी पार्टी, कूड़े का पहाड़ और एमसीडी में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाकर बीजेपी को घेरने में कामयाब रही। आम आदमी पार्टी लोगों को समझाने में कामयाब रही कि दिल्ली की एमसीडी बीजेपी के पास पंद्रह साल रही लेकिन कूड़े के पहाड़ को हटाने का काम बीजेपी ने नहीं किया उल्टा दिल्ली को कई कूड़े का पहाड़ देकर लोगों का जीना मुहाल कर दिया।
इस चुनाव में एंटी इन्कमबेंसी चरम पर दिखी। यही वजह रही कि मुश्किल से पचास फीसदी मतदान हो सका। बीजेपी के मतदाता उदासीन थे और घर से बाहर निकलकर बीजेपी के पक्ष में मतदान करने से परहेज किया।
आम आदमी पार्टी ऐसा समझाने में कामयाब रही कि बीजेपी बदले की राजनीति करती है और आप को काम करने नहीं देती है। मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई और ईडी की कार्रवाई वहीं सतेन्द्र जैन का जेल में किया गया स्टिंग लोगों को रास नहीं आया। लोग आम आदमी पार्टी द्वारा किए गए वादों पर भरोसा करते दिखे और बीजेपी पर लगे आरोप की वो बदले की राजनीति करती है इसका करारा जवाब दिया।
एमसीडी कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलना और दिल्ली में उनके द्वारा की जाने वाली हड़ताल बीजेपी के खिलाफ गई। गली गली में कूड़े, खराब सडक़ें और एमसीडी स्कूल की बदहाली बीजेपी के खिलाफ गई।
दिल्ली को आम आदमी पार्टी की डबल इंजन की सरकार की दरकार है और आम आदमी पार्टी दिल्ली के बेहतरी कर सकती है। इस पर लोगों का भरोसा दिखा। ज़ाहिर तौर पर व्यवसायियों के साथ किए गए वादे और केजरीवाल की छवि लोगों के पसंद आई। इसलिए आम आदमी पार्टी जीत की ओर बढ़ती दिख रही है।
केजरीवाल का सॉफ्ट हिंदुत्व भी केजरीवाल के पक्ष में गया। ब्रांड केजरीवाल दिल्ली बीजेपी के तमाम लोकल नेताओं पर भारी पड़ा। इसलिए आम आदमी पार्टी पंद्रह साल के बाद एमसीडी चुनाव में बीजेपी का किला ध्वस्त करने में कामयाब रही।