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संवैधानिक हक छीनेने की कोशिश हुयी तो जनता चुप बैठने वाली नहीं, डटकर करेंगे मुकाबला-मायावती

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लखनऊ,(मॉडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज) बसपा प्रमुख मायावती ने आज राजधानी लखनऊ मीडिया से मुखातिब हुयी। इस दौरान उन्होंने संविधान को लेकर भाजपा और कांग्रेस में छिड़ी बहस पर आगाह किया कि ऐसा लगता है बसपा को इन पार्टियों के खिलाफ आवाज़ देशभर में उठाएगी। उन्होंने आरएसएस द्वारा अभी हाल ही में संविधान की उद्देशिका/प्रस्तावना से ’’सोशलिस्ट एवं सेक्युलर’’ शब्द को हटाने की माँग के बारे में कहा कि संविधान को लेकर आरएसएस, बीजेपी व कांग्रेस पार्टी क्या कह रही है और क्या कर रही है उस पर पार्टी व जनता की भी पैनी नज़र है। भारत के जिस संविधान की बदौलत देश के करोड़ों दबे-कुचले, शोषित-पीड़ित लोगों को आत्म-सम्मान के साथ जीने का हक व जिन्दगी में कुछ आगे बढ़ने का मौका मिला है और वे लोग अपने पैरों पर खड़े होने के लिए लगातार संघर्षरत भी हैं, अर्थात आरक्षण के अपने अधिकार सहित यदि उनके संवैधानिक हक छीने जाते हैं तो वे लोग चुप बैठने वाले नहीं हैं बल्कि उसका डट कर मुकाबला करेंगे और उनके लिए हमारी पार्टी भी सड़कों पर उतरेगी। मायावती ने आगे कहा कि बाबा आंबेडकर ने अपना पूरा जीवन देकर इस देश में एक मानवतावादी संविधान दिया है। समय समय पर इसमें गैरजरूरी परिवर्तन भी किये गए। लेकिन पहले कांग्रेस और अब भाजपा नीत एनडीए सरकार इस पर अमल नहीं कर रही है। दोनों ही पार्टिया और उनके समर्थक ज्यादातर अपनी पार्टियों की विचारधारा पर ही जोर दें रही है। मायावती ने कहा कि कांग्रेस व भाजपा दोनों ही पार्टियां अक्सर एक-दूसरे से मिलीभगत रखती हैं।
उन्होंने कहा कि केन्द्र में रही सत्ता के दौरान् पहले कांग्रेस पार्टी ने और अब उसके बाद पिछले कुछ वर्षों से सत्ता में बीजेपी के नेतृत्व में चल रही एनडीए की सरकार के लोगों ने भी देश के करोड़ों देशवासियों के लिए व्यापक जन व देशहित में कभी भी इस पर अपनी पूरी ईमानदारी व निष्ठा से अमल नहीं किया है। बल्कि इन दोनों ही पार्टियों ने ज्यादातर अपनी-अपनी पार्टी की विचारधारा, सिद्धान्तों एवं अपने राजनैतिक स्वार्थ के तहत् संविधान में समय-समय पर काफी ग़ैर-ज़रूरी परिवर्तन भी कर दिये है, जिसकी देश में एकमात्र अम्बेडकरवादी बी.एस.पी. पार्टी कड़े शब्दों में निन्दा करती है। उन्हांेने कहा कि आरक्षण सम्बन्धी अनेकों मामले देश के दलितों, आदिवासियों व अन्य पिछड़े वर्गों के लोगों के सामने अभी भी ताज़ा है जिससे स्पष्ट तौर पर इन वर्गों के साथ-साथ जन व देशहित भी प्रभावित होता है और देश की ज्वलन्त समस्यायें जनता को दुखी एवं त्रस्त व उनके जीवन को लगातार लाचार और कष्टदायी बनाती रहती हैं। जबकि इन पार्टियों को अपने संकीर्ण विचार एवं राजनैतिक स्वार्थ से ऊपर उठकर आमजन व देशहित में संविधान व उसके मानवतावादी उद्देश्यों के साथ बिल्कुल भी छेड़छाड़ नहीं करना चाहिये, ताकि अपने भारतीय संविधान की पवित्रता हमेशा बरकरार बनी रहे। किन्तु इन दोनों पार्टियों व इनकी सहयोगी पार्टियों के भी स्वभाव व कार्यकलापों आदि से यह साफ ज़ाहिर होता है कि ये सभी पार्टियाँ अन्दर-अन्दर आपस में मिलकर बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर द्वारा निर्मित किये गये समतामूलक व अति-कल्याणकारी संविधान को बदलकर, इसे पुराने जातिवादी ढाँचे में बदलना चाहती हैं, जिसे भारतीय मानवतावादी जनमानस व हमारी पार्टी कतई भी बर्दाश्त करने वाली नहीं है।

उन्होने कहा कि वैसे भी भारतीय संविधान व उसकी उद्देशिका में जिन भी शब्दों का इस्तेमाल किया गया है वे देश की आत्मा को तृप्त करती हैं और जिन्हें काफी सूझबूझ, लम्बे व गहरे सोच-विचार के बाद ही देश में लागू किया गया है और अब उनके साथ किसी भी प्रकार का कोई और छेड़छाड़ करना ठीक नहीं है बल्कि यह घोर अनुचित होगा। बी.एस.पी. की यही इन पार्टियों को सलाह भी है। उन्होंने कहा कि देश के कई राज्यों में आयेदिन भाषा के नाम पर की जा रही राजनीति भी कोई ठीक नहीं है, जबकि संविधान की मूल भावना के अनुसार सभी भाषाओं को सम्मान देना ज़रूरी है। भाषा को लेकर बुद्धिजीवियांे के बीच बहस होना तो कोई बुरी बात नहीं, लेकिन इस मामले में सरकारों व पार्टियों के बीच किसी भी प्रकार का टकराव होना देश व जनहित में ठीक नहीं है। साथ ही, वोटर लिस्ट में भी सुधार को लेकर जो क़िस्म-क़िस्म की भ्रामक बातें कही जा रही हैं तो उसे भी केन्द्रीय चुनाव आयोग को अपनी स्थिति को ज़रूर स्पष्ट करना चाहिये और सभी राजनीतिक पार्टियों को विश्वास में लेकर इस कार्य को पूरा किया जाना चाहिए ताकि इस अभियान का सही मुख्य लक्ष्य हासिल हो सके। जहाँ तक पिछले कुछ समय से देश में कहीं धार्मिक कार्यक्रमों को लेकर जो जातीय उन्माद, टकराव व हिंसा की स्थिति पैदा की जा रही है तथा कहीं जातिवादी मानसिकता के तहत् ख़ासकर दलित एवं अन्य उपेक्षित वर्गों के लोगों का जो शोषण, अत्याचार व उत्पीड़न आदि किया जा रहा है, यह भी कोई अच्छी बात नहीं है, बल्कि अपने राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए आपसी भाईचारा बिगाड़ने वाली वास्तव में संविधान की सही मंशा के विरुद्ध ही यह कार्य होगा जिससे बचना ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष सन् 2025 के शुरू होते ही हमारी पार्टी ने पूरे देश मंे पार्टी संगठन की समीक्षा करने के साथ-साथ इस दौरान् सभी स्तर की कमेटियों के गठन करने की तरफ भी विशेष ध्यान दिया है। इस सम्बन्ध में मैंने इस वर्ष दिनांक 29 जनवरी को दिल्ली पार्टी केन्द्रीय कार्यालय में और दिनांक 2 मार्च को लखनऊ पार्टी प्रदेश कार्यालय में तथा पिछले महीने दिनांक 18 मई को पुनः दिल्ली में पार्टी की आल-इण्डिया की बैठक बुलाई थी जिसमें ज़रूरी दिशा-निर्देश भी दिये गये है, जिसकी काफी कुछ जानकारी मीडिया बन्धुओं को भी एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर मेरे पोस्ट मेरे व प्रेसनोट आदि के ज़रिये मिलती रही है जिन्हें मैं यहाँ फिर से दोहराना नहीं चाहती हूँ। इतना ही नहीं बल्कि इस मामले में यू.पी. व उत्तराखण्ड स्टेट की तथा अन्य राज्यों की भी बीच-बीच दिल्ली व लखनऊ में भी अलग-अलग से मेरी बैठकें होती रहीं है और यह सिलसिला तब तक लगातार चलता रहेगा जब तक पूरे देश में पार्टी का हर स्तर का संगठन सही से बनकर तैयार नहीं हो जाता है।

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