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नई दिल्ली। 24 जनवरी 2023 का वो दिन शायद अडानी ग्रुप कभी नहीं भूल सकता। यही वो दिन था जिस दिन अमेरिकी शॉर्च सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप के खिलाप एक रिपोर्ट लाकर सनसनी फैला दी थी। इस रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों का इतना बुरा हाल हुआ था जितना अडानी ग्रुप ने कभी सोचा भी नहीं होगा। इस साल के शुरुआत में यह बम फोड़ा गया था। अब करीब 8 महीने बाद हिंडनबर्ग का भूचाल एक बार फिर सामने आ सकता है। हालांकि इस बार अडानी ग्रुप इसका शिकार नहीं होगा। बल्कि दूसरी इंडियन कंपनियों पर नजर होगी।
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट देश के कुछ औद्योगिक घरानों के बारे में कुछ खुलासा कर सकता है। इस संगठन को जॉर्ज सोरोस और रॉकफेलर ब्रदर्स फंड जैसी इकाइयां संचालित करती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक यह संस्था भारत के बड़े कारपोरेट घरानों पर एक रिपोर्ट जल्द जारी कर सकती है। कंपनी की इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट अंतिम चरण में है। सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि यह संस्था रिपोर्ट की पूरी सीरीज जारी करेगी। हालांकि इसमें भारतीय कंपनियों के नाम का जिक्र तो नहीं किया गया है लेकिन माना जा रहा है इसमें भारत के बड़ी दिग्गज कंपनियां हो सकती हैं।
मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक जॉर्ज सोरोस को मोदी सरकार का विरोधी माना जाता है। दरअसल जॉर्ज सोरोस ने कई बार मोदी सरकारी की आलोचना की है। इस संस्था का नेटवर्क एशिया, यूरोप, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका तक फैला हुआ है। वहीं इस रिपोर्ट पर काम करने वाली दूसरी को रॉकफेलर ब्रदर्स और फोर्ड फाउंडेशन की ओर से फंडिंग मिलती है।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का खामियाजा अडानी ग्रुप को तो भुगतना ही पड़ा था। साथ ही मामला इतना बढ़ गया था कि संसद तक इसकी शोर सुनाई देने लगी थी। इस मामले में अडानी की टॉप कंपनियों के शेयर धूल चाटने को मजबूर हो गए थे। इस मामले में अडानी ग्रुप के साथ एलआईसी का भी नाम सामने आने लग गया था। दरअसल अडानी ग्रुप में एलआईसी का भारी भरकम निवेश था। लिहाजा देश के करोड़ों लोगों को लग रहा था कि कही एलआईसी में उनका पैसा डूब न जाएं। ये मामला अभी भी चल रहा है। सेबी ग्रुप इस मामले की जांच अभी भी कर रही है।
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