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लखनऊ,(मॉडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)ः यूपी सिडको द्वारा ठेकेदारों का एक ओरिएंटेशन प्रोग्रामआयोजित किया गया । जिसकी अध्यक्षता यूपी सिडको के अध्यक्ष वाईपी सिंह ने की। इस कार्यक्रम में समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव वेंकटेश्वर लू ,प्रबंध निदेशक कुमार प्रशांत एवं स्वामी असंग देव इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे, और प्रदेश भर में सैकड़ो की संख्या में कार्य कर रहे ठेकेदारों ने सहभागिता की इस अवसर पर सिडको के अध्यक्ष वाईपी सिंह ने कहा कि किसी व्यक्ति अथवा प्रतिष्ठान की सबसे बड़ी पूंजी उसकी साख होती है जो भी प्रतिष्ठान उसको ध्यान में रखकर कार्य करते हैं वह उच्च शिखर पर पहुंचते हैं,यूपी सिडको की पंच लाइन है गुणवत्तापूर्ण कार्य, समय सीमा के अंदर पारदर्शिता के साथ करना, यह यूपी सिडको की आत्मा है इसको ध्यान में रखते हुए सभी ठेकेदारों को अपने कार्य पूर्ण करने होंगे। क्या कारण है कि ठेकेदार जब अपना घर बनाता है तो अच्छी गुणवत्ता एवं सुंदरता का ध्यान रखते हुए बनाता है , जब वही ठेकेदार सरकारी भवन तैयार करता है तो वह इन सभी चीजों को भूलकर कम लागत लगाते हुए निम्न कोटि का भवन तैयार करता है। उन्होंने कहा कि हाई राइज बिल्डिंग तथा बिल्डिंग जल्दी बनें इसके लिए आईआईटी जैसे प्रातिष्ठानों से कोलाबोरेशन किया जाए। ठेकेदारों को अपने मूल्य के प्रति सजग होकर यूपी सिडको द्वारा दिए गए कार्यों को पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ करना होगा। प्रमुख सचिव वेंकटेश्वर लू ने कहा कि मनुष्य को आध्यात्मिक जीवन से प्रेरणा लेकर अपने इस क्षेत्र में कार्य करना होगा और देश के प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कर्म योगी के विषय को लेकर विभिन्न विभिन्न वर्गों कर्मचारियों अथवा ठेकेदारों से अपेक्षा की है कि वह सुचिता पूर्ण कार्य करके देश एवं प्रदेश को मजबूत करने का कार्य करें। वहीं प्रबंध निदेशक कुमार प्रशांत ने कहा कि तकनीकी का प्रयोग कर उच्च कोटि का भवन समय को ध्यान रखते हुए करना होगा।
ओरिएंटेशन प्रोग्राम पर उठे सवाल
यूपी सिडको के इतिहास में इस तरह का यह पहला ओरिएंटेषन प्रोग्राम आयोजित किया गया, जिसमें दूर दराज से उन ठेकेदारों को आमंत्रित किया गया जो विभाग के साथ मिलकर काम करते हैं। इस कार्यक्रम नींव रखने पर से ही विभाग के लोगों ने सवाल खड़ा करना षुरू कर दिया था, अधिकारी जहां इस तरह के आयोजन विभाग के लिए अभिनव प्रयोग बता रहे हैं तो वहीं ठेकेदारों के लिए जो पीपीटी तैयार की गयी थी, वह भी बेमन से तैयार करना बताया जा रहा है, ठेकेदारों को पीपीटी के माध्यम से जिन बारीकियों को समझाना था, वह सब बिन्दु नदारद थे, उनकी जगहों पर दीवारों पर पेंट और गेट के डिजाइन आदि का जिक्र ज्यादा था। जबकि पीपीटी में गुणवत्ता नियंत्रण, सुरक्षा प्रोटोकॉल ,नियमों और शर्तों का पालन , बजट प्रबंधन ,समय प्रबंधन ,पर्यावरण संरक्षण ,निरीक्षण और परीक्षण , दस्तावेजीकरण भवन निर्माण ,ग्राहक सेवा ,जोखिम प्रबंधन ,गुणवत्ता आश्वासन, निर्माण सामग्री का चयन ,कर्मचारियों की सुरक्षा निर्माण स्थल पर कर्मचारियों की सुरक्षा का ध्यान,पर्यावरणीय प्रभाव, निर्माण स्थल की सुरक्षा,निर्माण सामग्री की गुणवत्ता , काम की गुणवत्ता निर्माण सामग्री का भंडारण जैसे बिन्दु पीपीटी में ष्षामिल होने चाहिए थे। विभाग के लोग बताते है कि यह पीपीटी विभाग के ही एक हरफनमौला चीफ इंजीनियर ने बनवायी थी, जिनकी खुद की कई षिकायतें विभाग में लंबित चल रही है।
ठेकेदारों में नाराजगी
ओरिएंटेषन प्रोग्राम में ठेकेदारों से उनकी समस्याएं नहीं सुनी गयी, कार्यक्रम खत्म होने के बाद दूरदराज इलाके से आये ठेकेदारों में इसकी नाराजगी देखी गयी। जबकि कुछ ठेकेदार विभाग के प्रबंध निदेषक और प्रमुख सचिव को, इंजीनियरों की कमीषखोरी की पूरी दास्तान सुनाने आये थे, कि किस प्रकार कमीनखोरी के चक्कर में उनका पेमेंट रोका जाता है, और किस तरह से अलग अलग रोड़े लगाये जाते हैं, कुछ ठेकेदारों का यह भी कहना था कि कमीनखोरी और गुणवत्ता एक साथ कैसे संभव है। कुछ चीफ इंजीनियर अपने ही चहेते ठेकेदारों को ज्यादा काम देने में रूचि दिखाते हैं, ऐसे में जो नये ठेकेदार हैं वह भेदभाव का शिकार होते है।