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लखनऊ, (माॅडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)ः लखनऊ विश्विद्यालय के फैकल्टी ऑफ योग एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन के योग विभाग में उच्च रक्तचाप का योगिक प्रबंधन पर सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसकी मुख्य वक्ता डॉ.शिखा गुप्ता एवं प्रियांजलि पांडे थी। फैकल्टी ऑफ योग एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन के कोऑर्डिनेटर डॉ. अमरजीत यादव ने बताया कि उच्च रक्तचाप स्वास्थ्य की प्रमुख चुनौती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है कि विश्व में 30 से 79 वर्ष की आयु के लगभग एक तिहाई लोगो को उच्च रक्तचाप की समस्या है। भारत देश में लगभग 18 करोड़ लोग उच्च रक्तचाप के साथ जीवन जी रहे है। अगले 10 वर्षों में हृदय रोग से होने वाली पांच लाख मौतों को रोका जा सकता है। पश्चिमोत्तानासन, सर्वांगासन, भुजंगासन, बालासन के साथ ही अनुलोम-विलोम तथा भ्रामरी प्राणायाम के अभ्यास से लाभ होता है। इसके अतिरिक्त व्यान मुद्रा के अभ्यास से भी लाभ प्राप्त किया जा सकता है। डॉ. शिखा गुप्ता ने कहा की उच्च रक्तचाप के प्रबंधन के लिए नेचुरोपैथी चिकित्सा अग्रणी भूमिका निभाती है। प्राकृतिक चिकित्सा इस विश्वास पर आधारित है कि मन का शरीर पर गहरा प्रभाव पड़ता है और यह बीमारी के साथ-साथ बीमारी के स्रोत को भी संबोधित करता है। प्राकृतिक चिकित्सा दर्शाती है कि दवा लेना ही एकमात्र विकल्प नहीं है और इसे अलग से काम नहीं करना चाहिए। इसके प्रबंधन लिए माथे की पट्टी, हॉट फुट बाथ, संतुलित आहार, उचित नींद लेना चाहिए। प्रियांजलि पांडे ने कहा कि हाई ब्लड प्रेशर या उच्च रक्तचाप एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है। यह दिल को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। दिल की विफलता (हार्ट फेलियर), सीने में दर्द हो सकता है। यह मस्तिष्क को रक्त और ऑक्सीजन की आपूर्ति करने वाली धमनियों को भी फट या अवरुद्ध कर सकता है, जिससे स्ट्रोक हो सकता है। यह किडनी को भी नुकसान पहुंचा सकता है और किडनी फेलियर का कारण बन सकता है। इस अवसर पर छात्र, शिक्षक, कर्मचारी तथा आमजन उपस्थित रहे।