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लखनऊ। तेजी से बदलती जीवन शैली और अनियमित खान-पान से शरीर पर इसका दुष्प्रभाव किसी न किसी रूप में देखने को मिल रहा है। इन्ही सब दुष्प्रभाव में से एक बीमारी है गठिया की जो लोगों को तेजी से अपनी गिरप्त में ले रही है, अंग्रेजी में इसे आर्थराइटिस के नाम से जाना जाता है। विशेषज्ञों की माने तो गठिया सौ तरह की होती है, पर प्रचलित तौर पर 9 तरह की गठिया रोग से ग्रसित मरीज डॉक्टरों के पास ज्यादा आ रहे हैं। अगर इसके शुरूवाती तौर पर लोग इसकी पहचान कर ले तो, बड़ी परेशानी से बचा जा सकता है। विशेषज्ञों की माने तो यह रोग अब बच्चों और युवाओं को भी अपनी गिरप्त में धीरे-धीरे ले रहा है। राजधानी में करीब 16 साल से गठिया रोग विशेषज्ञ के तौर पर सेवाएं दे रही डा. श्वेता अग्रवाल ने गठिया रोग को लेकर कई तरह के खुलासे किये, कि किस तरह से एक साधारण से जोड़ों के दर्द को नजरअंदाज करने से कितनी बड़ी तकलीफ का सामना करना पड़ सकता है।
क्या है गठिया
डा. श्वेता की माने तो गठिया से दुनिया भर में करोड़ों लोग इससे परेशान हैं। अंग्रेजी में इसे आर्थराइटिस के नाम से जाना जाता है। गठिया एक, उससे अधिक या संयुक्त जोड़ों की सूजन को दर्शाता है। यह रोग घुटनों में दर्द और अकडऩ पैदा कर देता है और आमतौर पर बुजुर्ग वर्ग में पाया जाता है, लेकिन आज के दौर में बदलती जीवनशैली की वजह से यह रोग युवाओं और बच्चों में भी देखा जा रहा है। पुरूषों की तुलना में महिलाओं के अंदर यह शिकायत ज्यादा देखने को मिलती है, खासतौर से वे महिलाएं जिनका वजऩ ज्यादा होता है। इसकी शुरूआत शरीर के किसी भी जोड़ से हो सकती है और समय के साथ-साथ यह शरीर के बाकी जोड़ों को भी प्रभावित कर सकता है। गठिया रोग में से एक ऑस्टियो आर्थराइटिस और दूसरा रुमेटाइड आर्थराइटिस है। दोनों ही प्रकार के गठिया के लक्षणों में जोड़ों में दर्द और सूजन आम है। डा. श्वेता कहती है कि अगर शरीर में जोड़ों में दर्द, सूजन और जकडऩ जैसे लक्ष्ण लगातार बने रहे तो इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अलीगंज में मेडिसिन मॉल स्थित क्लिनिक में डा. श्वेता अग्रवाल के पास उप्र के जिलों से ही नहीं नेपाल तक के मरीज गठिया रोग का इलाज कराने आते हैं।
गठिया के प्रकार
डा. श्वेता अग्रवाल ने बताया कि गठिया जोड़ों में सूजन से ही सम्बन्धित है, फिर भी यह विभिन्न रूपों में पाया जाता है। रोगियों में 100 प्रकार के गठिया पाए जाते हैं जिनके लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक अलग अलग रुप में होते हैं। साधारण गठिया जोड़ों में सूजन, अकडऩ या दर्द का कारण बन सकता है। लेकिन गंभीर गठिया के मामलों में, रोगी की स्थिति काफी खराब हो सकती है, यह पीड़ा भरा दर्द, चलने या सीढिय़ों पर चढऩे में कठिनाई का कारण बन सकता है। कभी-कभी गठिया जोड़ों के अलावा शरीर में अन्य अंगों को प्रभावित कर सकता है। डा श्वेता के अनुसार गठिया रोग मुख्यत: इन्फ्लैमरेटरी (सूजन) गठिया, रूमेटोइड गठिया, प्रतिक्रियाशील (रिएक्टिव) गठिया, सोरियाटिक गठिया, डीजनरेटिव गठिया, ऑस्टियोआर्थराइटिस, नरम ऊतक मसक्यूलोस्केलेटल (पेशीय), सेप्टिक गठिया, मेटाबोलिक गठिया, किशोर गठिया, स्पोंडिलोआथ्र्राेपैथी और गाउट गठिया आदि हैं।
गठिया का उपचार
डा. अग्रवाल का मानना है कि आमतौर पर गठिया रोग ग्रसित मरीज हड्डी के डाक्टरों के पास चला जाता है, पर इस तरह की समस्या होने पर मरीज को गठिया रोग विशेषज्ञ के पास जाना चाहिए, जिससे मर्ज बढऩे से पहले ही उसे रोका जा सके। इस विकार और उसके उपचार के बारे में जागरूकता बनाए रखते हुए, व्यायाम या योग के लिए समय निकालना और स्वस्थ वजन को बनाए रखना अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इसकी शुरूवात होते ही मरीज को सजग हो जाना चाहिए, मरीज को संतुलित आहार लेना चाहिए। कुछ हद तक फीजियोथेरेपी सहायक सिद्ध होती है तो वहीं दर्द से निजात पाने के लिए घर पर हीटिंग पैड और आईस पैक से सिकाई भी कर सकते हैं। वहीं नियमित रूप से व्यायाम करना जोड़ों को मजबूत और लचीला बनाए रखने का कार्य करता है। तैराकी व वाटर स्पोट्र्स भी गठिया के लिए बेहतरीन एक्सरसाइज में शामिल हैं। डा. अग्रवाल बताती है कि यह सब कदम उठा कर हालात को बदतर होने से पहले रोका जा सकता है। साथ ही जोड़ों पर होने वली हानि को भी कम किया जा सकता है। अगर मरीज को फिर भी आराम न मिले तो गठिया रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।
गठिया रोग के लक्षण
1. जोड़ों में दर्द
गठिया रोग का सबसे प्रमुख लक्षण है जोड़ों में दर्द होना। आमतौर पर कुछ गतिविधियों के बाद हमें जोड़ों में दर्द होता है, लेकिन इसका मतलब ये भी नहीं कि हमें गठिया रोग है। जब जोड़ों में दर्द कुछ हफ्तों में ठीक ना हो और चलते-फिरते या उठते बैठते दर्द होने लगे तो हमें चाहिए कि किसी अच्छे डॉक्टर से सलाह लें। कई बार गठिया रोग से ग्रस्त लोगों के प्रभावित अंग लाल भी पड़ जाते हैं।
2. सूजन का उत्पन्न होना
हमारे शरीर के विभिन्न जोड़ों में दर्द का एहसास होता है। लेकिन अगर बात करें गठिया रोग की, तो एक व्यक्ति खासतौर से घुटने, कंधे, कूल्हे और हाथ में दर्द का अनुभव कर सकता है। अगर किसी को रूमेटाइड आर्थराइटिस बताया गया है, तो ऐसी स्थिति में थकान महसूस हो सकती है और इसके अलावा प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्युनिटी सिस्टम) कमज़ोर होने की वजह से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। दर्द के बाद गठिया रोग का सबसे बड़ा लक्षण जोड़ों में सूजन है।
3. अन्य लक्षण
गठिया रोग कई तरह की दिक्कतों को बढ़ावा दे सकती है। जैसे कि बात करें एनीमिया की, यह अवस्था शरीर में खून की मात्रा को कम कर देती है। साथ ही गठिया का प्रभाव जब ज़्यादा बढ़ जाता है, तो ऐसे मौके पर व्यक्ति को बुखार भी आ सकता है।
गठिया के मरीजों के लिए ये चीजें हैं नुकसान दायक
आर्थराइटिस यानी गठिया के मरीजों को घुटनों, एडिय़ों, पीठ, कलाई या गर्दन के जोड़ों में दर्द होता है। खराब लाइफस्टाइल की वजह से युवा भी इसकी चपेट में आ रहे है। खाने-पीने की आदत में सुधार कर इससे बचा जा सकता है।
गठिया के मरीज खाने में इन चीजों से दूरी बना लें तो बहुत हद तक इससे बचाव में मदद मिल सकती है, इन आठ चीजों में एडेड शुगर, प्रोसेस्ड फूड, ग्लूटेन फूड, अल्कोहल, एजीई की अधिकता वाले फूड आइटम यानि एडवांस ग्लाइसेशन एंड प्रोडक्ट ये आमतौर पर अधपके मीट में पाए जाते हैं। वहीं ज्यादा नमक वाला खाना, प्रोसेस्ड और रेड मीट, ध्रुम्रपान या किसी प्रकार का संक्रमण गठिया के रोगों में नुकसानदायक माना गया है।
गठिया रोग में क्या खाएं
अपने खानपान में थोड़ा सुधार करके गठिया रोग से काफी हद तक बचा जा सकता है। जिसमें सेब का सेवन फायदेमंद है। क्योंकि इसमें टैनिन नामक फिनोलिक यौगिक पाया जाता है जो गठिया की समस्या को ठीक करने में कारगर साबित हो सकता है। वहीं अपने शरीर को हाइड्रेट रखें और दिनभर में कम से कम 3 लीटर पानी ज़रूर पीयें। गठिया रोग में विटामिन-सी से युक्त फलों का सेवन करें। जैसे कि मौसमी, संतरा, अनानास, कीवी, नींबू, बैरीज, आदि। लेकिन इन फलों को दिन में खाएं अन्यथा सुबह या शाम में खाने से दर्द की समस्या उत्पन्न हो सकती है। वहीं लहसुन, अदरक, हल्दी ब्रोकली, जामुन, पालक, टमाटर, कद्दू, आदि भी गठिया रोग में फायदेमंद हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड से युक्त मछली में एंटी एंफ्लेमेट्री प्रोपर्टी होती है जो कि सूजन को कम करने में मदद करती है। अगर किसी को रूमटाइड आर्थराइटिस है तो उनके लिए अंगूर का सेवन फायदेमंद हो सकता है। एक शोध के अनुसार अंगूर के अर्क में प्रोएंथोसाइनिडिन नामक तत्व होता है जिसमें एंटीऑक्सीडेन्ट और एंटीइंफ्लेमेट्रीप प्रोपर्टीज होती है जो कि आर्थराइटिस की सूजन को कम करने और हड्डियों के नुकसान को रोकने में मदद करता है।