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अमित शाह ने पेश किया नया बिल, बदल गया आईपीसी

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नई दिल्ली। मोदी सरकार ने देश के कानूनी ढांचे में एक बड़े बदलाव की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में सीआरपीसी और आईपीसी से जुड़े नए कानून पेश करने के विधेयक पेश किए हैं, जिन्हें स्टैंडिंग कमेटी को भेजा जाएगा। इसके तहत देश में अब नए कानून लागू किए जाएंगे और कई मामलों में सजा के प्रावधानों को बदला जाएगा। यौन हिंसा से लेकर राजद्रोह तक, देश में इन नए कानूनों के लागू होने से क्या बदल जाएगा, विस्तार से जानेंज्
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में विधेयक पेश किया, उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से 5 प्रणों को देश की जनता के सामने रखा था। इनमें से एक प्रण गुलामी की निशानियों को समाप्त करने की बात कही थी। मैं इसी कड़ी में तीन विधेयक लाया हूं, जो पुराने कानूनों में बदलाव करने वाले हैं। अमित शाह ने बताया कि इनमें इंडियन पीनल कोड (1860), क्रिमिनल प्रोसिजर कोड (1898), इंडियन एविडेंस एक्ट (1872) में बने इन कानूनों को खत्म किया जा रहा है और नए कानून लाए जा रहे हैं। अब देश में भारतीय न्याय संहिता (2023), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (2023) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (2023) प्रस्तावित होगा।
अमित शाह ने सदन में कहा कि पुराने कानून अंग्रेजों ने अपने अनुसार बनाए थे, जिनका लक्ष्य दंड देना था। हम इन्हें बदल रहे हैं, हमारा मकसद दंड देना नहीं बल्कि न्याय देना। गृह मंत्री ने साफ किया कि ये सभी बिल स्टैंडिंग कमेटी को भेजा जाएगा। नए कानून में सबसे पहला चैप्टर महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराध, दूसरा चैप्टर मानवीय अंगों के साथ होने वाले अपराध का है।गृह मंत्री ने लोकसभा में अमित शाह ने जानकारी दी कि कानून से जुड़ी सभी समितियों, राज्य सरकारों, हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, कानून यूनिवर्सिटी, सांसदों, विधायकों और जनता की ओर से इन कानूनों को बनाने के सुझाव दिए गए थे। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (2023) में अब 533 धाराएं होंगी, 160 धाराएं बदली गई हैं और 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं। भारतीय न्याय संहिता (2023) में 356 धारा होंगी, इनमें 175 धारा बदली हैं और 8 नई धारा जोड़ी गई हैं। भारतीय साक्ष्य अधिनियम एक्ट (2023) में 170 धाराएं होंगी, अब 23 धाराएं बदली हैं और 1 धारा जोड़ी गई है।
अमित शाह बोले कि भारत के कानून में कई ऐसे शब्दों का जिक्र था जो आजादी से पहले की हैं, इनमें ब्रिटिश शासन की झलक थी जिसे अब निरस्त कर दिया गया है, करीब 475 जगह इनका इस्तेमाल होता था जो अब नहीं होगा। अब सबूतों में डिजिटल रिकॉड्र्स को कानूनी वैधता दी गई है, ताकि अदालतों में कागजों का ढेर नहीं दिया गया है। एफआईआर से लेकर केस डायरी तक को अब डिजिटल किया जाएगा, किसी भी केस का पूरा ट्रायल अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से किया जा सकता है। किसी भी मामले की पूरी कार्यवाही डिजिटल तौर पर की जा सकती है।
अमित शाह ने कहा कि किसी भी सर्च में अब वीडियोग्राफी जरूरी होगी, इसके बिना कोई भी चार्जशीट वैध नहीं होगी। हम फॉरेन्सिक साइंस को मजबूत कर रहे हैं, जिस भी मामले में 7 या उससे अधिक साल की सजा है उसमें फॉरेन्सिक रिपोर्ट आवश्यक होगी यानी यहां पर फॉरेन्सिक टीम का विजिट करना जरूरी होगा, हमने दिल्ली में सफल तरीके से लागू किया है। हमारा फोकस 2027 से पहले सभी कोर्ट को डिजिटल करने की कोशिश है। नए बिल के तहत जीरो एफआईआर को लागू करेंगे, इसके साथ ही ई-एफआईआर को जोड़ा जा रहा है। जीरो एफआईआर को 15 दिनों के भीतर संबंधित थाने में भेजना होगा, पुलिस अगर किसी भी व्यक्ति को हिरासत या गिरफ्तार करती है तो उसे लिखित में परिवार को सूचना देनी होगी।
अमित शाह ने बताया कि यौन हिंसा के मामले पीडि़ता का बयान जरूरी है, पुलिस को 90 दिनों में किसी भी मामले की स्टेटस रिपोर्ट देनी होगी। अगर कोई 7 साल से अधिक का मामला है, तब पीडि़त का बयान लिए बिना वह मामला पुलिस वापस नहीं ले पाएगी। आरोप पत्र दायर करने के लिए जो अभी तक टालमटोल होती थी, ये अब नहीं होगा। पुलिस को अब 90 दिन में आरोप पत्र दाखिल करना होगा, अगर जरूरत होती है तो कोर्ट किसी मामले में 90 दिन अधिक भी दे सकती है यानी कुल 180 दिन के भीतर आरोप पत्र जरूरी होगा। किसी भी मामले बहस पूरी होने के बाद 30 दिन में फैसला देना ही होगा, फैसला आने के बाद 7 दिनों में इसे ऑनलाइन उपलब्ध कराना होगा।
लोकसभा में गृह मंत्री ने जानकारी दी कि घोषित अपराधी की संपत्ति की कुर्की की जाएगी, संगठित अपराध के लिए नया एक्ट जोड़ा जा रहा है। महिलाओं से जुड़े कानून में बदलाव किया गया है, अमित शाह ने बताया कि गलत पहचान बनाकर यौन संबंध बनाना अब अपराध होगा। गैंगरेप के मामले में 20 या उससे अधिक साल की सजा का प्रावधान है, 18 साल से कम उम्र की बच्चियों के मामले में मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। नए कानून में मॉब लिंचिंग के मामले में 7 साल, उम्र कैद और मौत की सजा तक का प्रावधान है।

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