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हम मजबूरी में लाएं अविश्वास प्रस्ताव: अधीर रंजन चौधरी

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नई दिल्ली। लोकसभा में केंद्र सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर 3 दिनों तक चर्चा हुई। 10 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस अविश्वास प्रस्ताव पर जवाब दिया। यह अविश्वास प्रस्ताव गिर गया। हालांकि, इस को लेकर राजनीति अभी भी जारी है। आज एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अविश्वास प्रस्ताव को लेकर विपक्षी दलों पर निशाना साधा। दूसरी ओर कांग्रेस ने साफ तौर पर कहा है कि हमने मजबूरी में अविश्वास प्रस्ताव लाया था। हम चाहते थे कि प्रधानमंत्री मणिपुर के मामले पर बोले। कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने साफ तौर पर कहा कि प्रधानमंत्री दुनिया के तमाम मसलों पर बोलते हैं, लेकिन मणिपुर को लेकर इतने चुप क्यों हैं? इसके साथ ही अपने निलंबन को लेकर उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो हम कोर्ट जाएंगे।
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हमने संसद में मणिपुर पर प्रधानमंत्री के बयान की मांग की थी। हम चाहते थे कि संसद चले। जब हमारी बात नहीं सुनी गई तब हमें यह सुनिश्चित करने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाने का अंतिम उपाय करना पड़ा कि प्रधानमंत्री संसद में बोलें। उन्होंने कहा कि जब अविश्वास पर बहस लंबित थी तब वे(भाजपा) संसद में विधेयक पारित कर रहे थे। विपक्ष को कई विधेयकों पर अपनी राय रखने का मौका नहीं मिला। इसके साथ ही उन्होंने कहा, मोदी जी इंडिया शब्द के विरोध में क्यों हैं?…इंडिया और भारत में कोई अंतर नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह एक नई घटना है जिसे हमने संसद में अपने करियर में पहले कभी अनुभव नहीं किया है। यह विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए सत्तारूढ़ दल द्वारा एक जानबूझकर की गई योजना है। यह संसदीय लोकतंत्र की भावना को कमजोर कर देगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, हमने संसद में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को हराया और पूरे देश में नकारात्मकता फैलाने वालों को करारा जवाब दिया। विपक्ष के सदस्य संसद बीच में ही छोडक़र चले गए। सच तो यह है कि वे अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग से डर गए थे…। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में टीएमसी ने कैसा खूनी खेल खेला…ये देश ने देखा है। वे यह सुनिश्चित करने के लिए कुछ भी करते हैं कि कोई भी भाजपा उम्मीदवार नामांकन दाखिल न कर सके। वे न केवल भाजपा कार्यकर्ताओं को बल्कि मतदाताओं को भी धमकाते हैं। बूथ कैप्चरिंग के लिए ठेके दिए जाते हैं…यह राज्य में राजनीति करने का उनका तरीका है।

 

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